मेरो प्रयास: धेरै साहित्य, थोरै अनुभव, अनि केही गफ... थाहा छैन कति सम्भव कति असम्भव!

Thursday, June 25, 2009

नेपाल रुन्छ माटो खोज्दै निद्रा छैन आज भोली

नेपाल रुन्छ माटो खोज्दै निद्रा छैन आज भोली..
हिमाल रुन्छ बाटो खोज्दै निद्रा छैन आज भोली..

गरीबी छ महँगी छ, बर्षात मै पानी छैन!
कुमाल रुन्छ आटो खोज्दै निद्रा छैन आजभोली..

झुपडी छन कन्दरामा, नचुहिने छानो छैन!
मादल रुन्छ हासो खोज्दै निद्रा छैन आज भोली..

देश झुक्छ नेता हेर्दै, छरिदै छन कता कता!
मुनाल रुन्छ गाठो खोज्दै निद्रा छैन आज भोली..


नेपाल रुन्छ माटो खोज्दै निद्रा छैन आज भोली..
हिमाल रुन्छ बाटो खोज्दै निद्रा छैन आज भोली..

विजय कुमार पाण्डे
(पाण्डु राजा)

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